Tuesday, 6 August 2019

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस AND लिब्रेऑफ़िस के बीच अंतर

माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और लिब्रेऑफ़िस के बीच अंतर

मुख्य अंतर: माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस माइक्रोसॉफ्ट विंडोज और ऐप्पल ओएस एक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए माइक्रोसॉफ्ट द्वारा एक मालिकाना कार्यालय सूट है। इसमें डेस्कटॉप एप्लिकेशन, सर्वर और विभिन्न सेवाएं शामिल हैं। दूसरी ओर, लिब्रेऑफ़िस भी एक कार्यालय सुइट है, लेकिन इसे दस्तावेज़ फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया था। यह एक स्वतंत्र और खुला स्रोत सुइट है। Microsoft Office और लिब्रेऑफ़िस बुनियादी कार्यक्षमता में समान हैं, लेकिन एक ही समय में वे कई विशेषताओं में भिन्न हैं।
Microsoft Office Microsoft द्वारा Microsoft Windows और Apple OS X ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए एक ऑफिस सूट है। इसमें डेस्कटॉप एप्लिकेशन, सर्वर और विभिन्न सेवाएं शामिल हैं। यह 1990 में पेश किया गया था। सबसे महत्वपूर्ण बात, इसमें वर्ड, एक्सेस, एक्सेल और पॉवरपॉइंट एप्लिकेशन शामिल हैं। इसके अन्य डेस्कटॉप अनुप्रयोगों में Microsoft Access, Microsoft InfoPath, Microsoft Project आदि शामिल हैं। इस कार्यालय सुइट के कई संस्करण जारी किए गए हैं। इसका एक संस्करण भी है जिसे एंड्रॉइड फोन, आईफ़ोन और विंडोज फोन द्वारा उपयोग किया जाता है। इसके सर्वर अनुप्रयोगों में Microsoft SharePoint और Microsoft Lync सर्वर शामिल हैं। वेब सेवाओं के संदर्भ में, यह ऑफिस वेब एप्स, माइक्रोसॉफ्ट अपडेट आदि प्रदान करता है।


लिब्रेऑफ़िस भी एक कार्यालय सुइट है, लेकिन इसे दस्तावेज़ फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया था। यह एक स्वतंत्र और खुला स्रोत कार्यालय सुइट है। इसे Microsoft Office 2010 के खट्टे कोड पर विकसित किया गया है, लेकिन इसे स्वतंत्र रूप से विकसित किया गया है। इसमें एक समीकरण संपादक के लिए शब्द प्रोसेसर की मांगों को पूरा करने के लिए कई उपकरण शामिल हैं। इस सुइट के शब्द प्रोसेसर को लिब्रे ऑफिस राइटर के रूप में जाना जाता है। सुइट को आसानी से आधिकारिक लिब्रे ऑफिस वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए, एक शर्त के रूप में जावा रनटाइम एनवायरनमेंट का होना आवश्यक है। LibreOffice 4.1 वर्तमान संस्करण के रूप में बाजार में पहले से ही मौजूद है, और इसका 4.2 संस्करण रिलीज़ फरवरी 2014 के लिए निर्धारित किया गया है।

दोनों कार्यालय सूट एक ही प्रकार की कार्यक्षमता प्रदान करते हैं, हालांकि वे अभी भी कई संदर्भों में एक दूसरे से अलग हैं। कुछ सुविधाएँ Microsoft कार्यालय में मौजूद हैं जो लिबर ऑफिस में अनुपस्थित हैं और इसके विपरीत हैं। लिब्रेऑफ़िस का उपयोग करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह मुफ़्त है, और इसलिए कोई भी इसे आसानी से परीक्षण और उपयोग कर सकता है। दूसरी ओर, कई लोगों का मानना ​​है कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस की गुणवत्ता अभी भी लिब्रे ऑफिस की तुलना में बेहतर है।

LIBRE OFFICE V/s MICROSOFT OFFICE

LibreOffice 6.1 Writer Icon.svgWRITER(MS WORD):- Microsoft Word या WordPerfect के समान कार्यक्षमता और फ़ाइल समर्थन वाला एक वर्ड प्रोसेसर। इसमें व्यापक WYSIWYG शब्द संसाधन क्षमता है, लेकिन इसका उपयोग मूल पाठ संपादक के रूप में भी किया जा सकता है।










LibreOffice 6.1 Calc Icon.svg


LibreOffice 6.1 Impress Icon.svg
LibreOffice 6.1 Calc Icon.svg Calc (Microsoft Excel):-
                      Microsoft Excel या Lotus 1-2-3 के समान एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम है। इसमें कई अनूठी विशेषताएं हैं, जिसमें एक प्रणाली शामिल है जो उपयोगकर्ता को उपलब्ध जानकारी के आधार पर स्वचालित रूप से ग्राफ़ की श्रृंखला को परिभाषित करती है।




LibreOffice 6.1 इम्प्रेस Icon.svg इंप्रेशन-(Microsoft PowerPoint) :-

 Microsoft PowerPoint से मिलता-जुलता एक प्रस्तुति कार्यक्रम है। प्रस्तुतियों को SWF फ़ाइलों के रूप में निर्यात किया जा सकता है, जिससे उन्हें Adobe Flash Player स्थापित किए गए किसी भी कंप्यूटर पर देखा जा सकता है।



LibreOffice 6.1 Base Icon.svg
MS ACCESS (BASE)

प्रोग्राम। लिब्रे ऑफिस BASE-
( MICROSOFT ACCESS) :-

 डेटाबेस के निर्माण और प्रबंधन के साथ-साथ उन रूपों और रिपोर्टों की तैयारी की अनुमति देता है जो उपयोगकर्ताओं को डेटा तक आसान पहुंच प्रदान करते हैं। एक्सेस की तरह, इसका उपयोग दस्तावेज़ फ़ाइलों के साथ संग्रहीत छोटे एम्बेडेड डेटाबेस बनाने के लिए किया जा सकता है (जावा-आधारित एचएसक्यूएलडीबी और सी ++ आधारित फायरबर्ड को इसके भंडारण इंजन के रूप में उपयोग करके), और अधिक मांग वाले कार्यों के लिए इसे फ्रंट-एंड के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक्सेस डेटाबेस (JET), ODBC / JDBC डेटा स्रोतों और MySQL, MariaDB, PostgreSQL या Microsoft Access सहित विभिन्न डेटाबेस प्रणालियों के लिए। [१३] [२ including]
एचएसक्यूएलडीबी से एम्बेडेड स्टोरेज इंजन को फायरबर्ड एसक्यूएल बैक-एंड में बदलने के लिए काम जारी है। लिबरेऑफिस 4.2 के बाद से फायरबर्ड को लिबर ऑफिस में एक प्रायोगिक विकल्प के रूप में शामिल किया गया है।






Friday, 19 July 2019

बिटकॉइन (Bitcoin) मुद्रा क्या है और कैसे काम करती है?

बिटकॉइन (Bitcoin) मुद्रा क्या है और कैसे काम करती है?

बिटकॉइन डिजिटल मुद्रा का एक रूप है सरल शब्दों में, यह एक गणितीय संरचना है जो एल्गोरिदम पर चलता है। इसे किसने विकसित किया था इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत नही है लेकिन छदम रूप से इसके संस्थापक का नाम ‘सोतशी नाकामोतो’ माना जाता हैl जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है।
Bitcoin currency

बिटकॉइन एक तरह की एक डिजिटल मुद्रा (digital currency)  और स्वतन्त्र मुद्रा है | इस पर किसी भी संस्था या देश का अधिकार नहीं है| इसका मालिक, भौतिक (physical) रूप से चीजों की खरीदारी नहीं कर सकता बल्कि बिटकॉइन का उपयोग ऑनलाइन ही क्या जा सकता है| इसका अधिग्रह होने पर अधिकारी सिर्फ ऑनलाइन शॉपिंग या हस्तांतरण के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं| इसका उत्पादन स्वतन्त्र रूप से कंप्यूटर प्रोसेसिंग प्रणाली “Mining” के द्वारा किया जाता है| Miners विशेष प्रकार के हार्डवेयर का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के लेन देन को पूरा करते है और नेटवर्क को सुरक्षित करते है जिनके बदले में नए बिटकॉइन बनते है जो miners को मिलते है|
जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है। जबकि गोल्‍डमैन साक्‍स और न्‍यूयॉर्क स्‍टॉक एक्‍सचेंज तक ने इसे बेहद तेज और कुशल तकनीक कहकर इसकी तारीफ की है। इसलिए दुनियाभर के बिजनेसमैन और कई कंपनियां फाइनैंशियल ट्रांजेक्‍शन के लिए इसका इस्‍तेमाल खूब कर रहे हैं। इसे किसने विकसित किया था इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत नही है लेकिन छदम रूप से इसके संस्थापक का नाम सोतशी नाकामोतो माना जाता हैl
(बिटकॉइन के संस्थापक सोतशी नाकामोतो)
founder-bitcoins
Image source:Daily Mail
1- इसकी शुरुआत 3 जनवरी 2009 को हुई थी।
2- यह विश्व का प्रथम पूर्णतया खुला भुगतान तंत्र है।
3- इस समय दुनिया भर में 1 करोड से अधिक बिटकाइन हैं, जिनका मूल्य 55 हज़ार करोड रुपए है।
बिटकॉइन का इस्तेमाल कौन कर रहा है ?
दुनिया का पहला ओपन पेमेंट नेटवर्क बिटकॉइन चर्चा में है। क्‍योंकि, फाइनैंशियल ट्रांजैक्‍शन के लिए यह सबसे तेज और कुशल मानी जा रही है। इसलिए बिटकॉइन को वर्चुअल करंसी भी कहा जाता है।
दरअसल बिटकॉइन एक नई टेक्नोलॉजी है जि‍सका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है।हजारों कंपनियों, लोगों और गैर लाभकारी संगठन ने ग्लोबल बिटकॉइन सिस्टम को अपनाया है। हालांकि इस मुद्रा का व्यापार, निर्माण और नियंत्रण अन्य बिटकॉइन उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाता है l
कोई केंद्रीय संस्था नहीं है
बिटकॉइन को किसी संस्था द्वारा नियंत्रित नही किया जाता है जिसका अर्थ है कि इसके ऊपर सरकार या बैंक का कोई अधिकार नही हैइनका उपयोग या खरीदारी किसी के द्वारा भी की जा सकती हैl चूंकि इनके व्यापार को रोका नही जा सकता है इसलिए कोई भी बैंक या प्राधिकरण आपको इंटरनेट द्वारा किसी और को अपने बिटकॉन्स भेजने से रोक नही सकता है। लेकिन इसमें एक दुविधा यह भी है कि यदि आपके साथ कोई धोखा होता है तो आप किसी के पास भी इसके बारे में शिकायत दर्ज नही करा सकते हैं l
इसका मूल्य कितना होता है ?
दुनिया भर में Bitcoins के वितरण की सीमा मात्र 210,00000 है यानि कि कुल मिलकर पूरे विश्व में 210,00000 ही बनाए जाएँगे उसके बाद इसका उत्पादन बंद हो जाएगा| कुछ ऐसी भी मूलभूत प्रक्रियाएं हैं जो इसे जटिल बनाती हैं और अधिकृत व्यक्ति को इसे समझने के लिए तकनीकी जानकारी होना आवश्यक हो जाता हैl
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह एक छदम मुद्रा है जिसने 2013 में बहुत प्रसिद्धि पाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में उठा पटक मचा दी थी l दरअसल तीन साल पहले वजूद में आई बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी करंसी बन गई है। इस समय एक बिटकॉइन को ऑनलाइन या बाजार में तकरीबन 790676 रुपये में बेचा जा सकता है। इसका मूल्य इसकी मांग और पूर्ती के बीच के समन्वय पर पड़ता है या खरीदने वाला जितना मूल्य देने को तैयार हो जाये l
(वर्तमान में बिट कॉइन का मूल्य इस प्रकार है)
bitcoin price 2017
Image source:greenhatworld.com
इसकी कीमत हर देश में अलग अलग होती हैl चूँकि इसका चलन विश्व बाज़ार में है, इसलिए इसकी कीमत हर देश में इसकी मांग के अनुसार होती है| इस समय एक बिटकॉइन का खरीदी मूल्य 790676 रूपए है वहीँ अमेरिका में एक बिटकॉइन की कीमत $604 है आज बिटकॉइन का चलन विश्व बाज़ार में बहुत तेज़ी पर हैl लेकिन इस बाजार में अस्थिरता बहुत अधिक होती हैl
बिटकॉइन की बिक्री और खरीद कैसे की जाती है?
डिजिटल करंसी बिटकॉइन का उपयोग करने वाले बिजनेसमैन की संख्‍या लगभग 30 लाख बताई जा रहीहै और जूपिटर रिसर्च के मुताबिक यह संख्‍या 2019 तक 50 लाख तक पहुंच सकती है।
बिटकॉइन को हासिल करने के लिए आपको बहुत मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है आप खनन (mining ) जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से डिजिटल मुद्रा कमा सकते हैं ( बिटकॉइन की संरचना करने के लिए  एक विशेष सॉफ़्टवेयर की मदद ली जा सकती है जिसे बिटकॉइन बनाने वाला सॉफ्टवेयर कहा जाता (Bitcoin Miner) है l यह सॉफ्टवेयर बिटकॉइन नेटवर्क में आपके लिए एक जगह को सुरक्षित कर लेगाl
 how-bitcoins-works
Image source:How-To Geek
कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी माध्यम के ट्रांजेक्‍शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। जबकि जटिल कम्‍प्‍यूटर एल्गोरिथम्स और कम्‍प्‍यूटर पावर से इस मुद्रा का निर्माण किया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं।
बिटकॉइन को किसी को अपनी सेवा देकर भी सैलरी के रूप में कमाया जा सकता है l यदि आप चाहें तो इसे वास्तविक मुद्रा जैसे डॉलर और यूरो से भी बदल सकते हैं l
साधारण मुद्रा की तरह बिटकॉइन को भी आसानी से खर्च किया जा सकता है l इसका इस्तेमाल आप सामान खरीदने के लिए, कुछ गैर-सरकारी संगठनों को दान करने या उन्हें किसी और को भेजने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं l कुछ ऐसी विभिन्न साइटें जैसे विकिलीक्स, पी 2 पी फाउंडेशन, वर्डप्रेस.कॉम और बिटकॉइन.ट्रेवल हैं जो बिटकॉइन को स्वीकार करते हैं l अभी हाल ही में दुनिया में आतंक मचाने वाले रैन्समवेयर वायरस को बनाने वाले हैकरों ने फिरौती के तौर पर bitcoin मुद्रा की ही मांग की हैl
भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक लोगों को इस मुद्रा में निवेश करने से रोक रहा है लेकिन फिर भी लोग इसमें बड़ी संख्या में निवेश कर रहे हैं लेकिन भारत सरकार इस bitcoin मुद्रा के दोषों को देखते हुए इसके वाणिज्यिक प्रसार को रोकने के लिए जल्दी ही कानून बनाने की बात सोच रही है l ज्ञातब्य है कि भारतीय रिज़र्व बैंक पहले से ही इस मुद्रा में किसी भी प्रकार के निवेश को गैर कानूनी बताता आया है और उसने लोगों को  इस मुद्रा से दूर रहने की सलाह भी दी है क्योंकि यह मुद्रा, बैंकिंग नियमन अधिनियम,1934 के नियमों का पालन भी नही करती है 

Thursday, 11 July 2019

GENERATION OF COMPUTER

कंप्यूटर की पीढियां

Generations of Computer (कंप्यूटर की पीढियां)

सन् 1946 में प्रथम इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस, वैक्‍यूम ट्यूब (Vacuum Tube) युक्‍त एनिएक कम्‍प्‍यूटर की शुरूआत ने कम्‍प्‍यूटर के विकास को एक आधार प्रदान किया कम्‍प्‍यूटर के विकास के इस क्रम में कई महत्‍वपूर्ण डिवाइसेज की सहायता से कम्‍प्‍यूटर ने आज तक की यात्रा तय की। इस विकास के क्रम को हम कम्‍प्‍यूटर में हुए मुख्‍य परिवर्तन के आधार पर निम्‍नलिखित पॉंच पीढि़यों में बॉंटते हैं:-

कम्‍प्‍यूटरों की प्रथम पीढ़ी (First Generation Of Computer) :- 1946-1956

कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Computer) नामक कम्‍प्‍यूटर के निर्माण से हुआ था इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में वैक्‍यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्‍कार सन् 1904 John Ambrose Fleming ने किया था इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा  और भी कई अन्‍य कम्‍प्‍यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसैक (EDSEC – Electronic Delay Storage Automatic Calculator), एडवैक (EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer ), यूनिवैक (UNIVAC – Universal Automatic Computer), एवं यूनीवैक – 1 (UNIVAC – 1) हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे इनकी Speed बहुत ही Slow होती थी और मेमोरी भी कम होती थी इसी कारण इन कंप्यूटर में डाटा को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता था इन कंप्यूटर की कीमत बहुत अधिक होने के कारण ये कंप्यूटर आम जनता की पहुँच से दूर थे|
प्रथम पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित लक्षण थे:-
  • वैक्‍यूम ट्यूब का प्रयोग
  • पंचकार्ड पर आधारित
  • संग्रहण के लिए मैग्‍नेटिक ड्रम का प्रयोग
  • बहुत ही नाजुक और कम विश्‍वसनीय
  • बहुत सारे एयर – कंडीशनरों का प्रयोग
  • मशीनी तथा असेम्‍बली भाषाओं में प्रोग्रामिंग

कम्‍प्‍यूटरों की द्वितीय पीढ़ी (Second Generation Of Computers) :- 1956-1964

कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी के बाद सन् 1956 में कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत हुई इन कम्‍प्‍यूटरों में Vacuum tube (वैक्‍यूम ट्यूब) के स्थान पर Transistor (ट्रॉजिस्‍टर) का उपयोग किया जाने लगा| विलियम शॉकले (William Shockley) ने ट्रॉंजिस्‍टर का आविष्‍कार सन् 1947 में किया था जिसका उपयोग द्वितीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में वैक्‍यूम ट्यूब के स्‍थान पर किया जाने लगा। ट्रॉंजिस्‍टर के उपयोग ने कम्‍प्‍यूटरों को वैक्‍यूम ट्यूबों के अपेक्षाकृत अधिक गति एवं विश्‍वसनीयता प्रदान की| Transistor (ट्रॉजिस्‍टर) के आने के बाद कंप्यूटर के आकार में भी सुधार आया द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर से आकार में छोटे हो गए|
द्वितीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण थे:-
  • वैक्‍यूम ट्यूब के बदले ट्रॉजिस्‍टर का उपयोग
  • अपेक्षाकृत छोटे एवं ऊर्जा की कम खपत
  • अधिक तेज एवं विश्‍वसनीय
  • प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम खर्चीले
  • COBOL एवं FORTRAN जैसी उच्‍चस्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास
  • संग्रहण डिवाइस, प्रिंटर एवं ऑपरेटिंग सिस्‍टम आदि का प्रयोग

कम्‍प्‍यूटरों की तृतीय पीढ़ी (Third Generation of Computer) :- 1965-1971

कम्‍प्‍यूटरों की तृतीय पीढ़ी की शुरूआत 1964 में हुई। इस पीढ़ी ने कम्‍प्‍यूटरों को IC (आई.सी.) प्रदान किया। आई.सी. अर्थात् एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का आविष्‍कार टेक्‍सास इन्‍स्‍ट्रमेंन्ट कम्‍पनी (Texas Instrument Company) के एक अभियंता जैक किल्‍बी (Jack Kilby) ने किया था। इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में ICL 2903, ICL 1900, UNIVAC 1108 और System 1360 प्रमुख थे।
तृतीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण थे:-
  • एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का प्रयोग
  • प्रथम एवं द्वितीय पीढि़यों की अपेक्षा आकार एवं वजन बहुत कम
  • अधिक विश्‍वसनीय
  • पोर्टेबल एवं आसान रख-रखाव
  • उच्‍चस्‍तरीय भाषाओं का बृहद् स्‍तर पर प्रयोग

कम्‍प्‍यूटरों की चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation Of Computers) :- 1971-1985

कंप्यूटर की चतुर्थ पीढ़ी की शुरुआत सन् 1971 से हुई | सन् 1971 से लेकर 1985 तक के कम्‍प्‍यूटरों को चतुर्थ पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों की श्रेणी में रखा गया है। इस पीढ़ी में IC (Integrated Circuit) को और अधिक विकसित किया गया जिसे विशाल एकीकृत सर्किट (Large Integrated Circuit) कहा जाता हैं। एक Integrated Circuit लगभग 300000 ट्रां‍जिस्‍टरों के बराबर कार्य कर सकता हैं। इस आविष्‍कार से पूरी सेन्‍ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट एक छोटी – सी चिप में आ गयी जिसे माइक्रो प्रोसेसर कहा जाता हैं। इसके उपयोग वाले कम्‍प्‍यूटरों को माइक्रो कम्‍प्‍यूटर कहा गया।


ALTAIR 8800 सबसे पहला माइक्रो कम्‍प्‍यूटर था जिसे मिट्स (MITS) नामक कम्‍पनी ने बनाया था। इसी कम्‍प्‍यूटर पर बिल गेटस (Bill gates), जो उस समय हावर्ड विश्‍वविद्यालय के छात्र थे, ने बेसिक भाषा को स्‍थापित किया था। इस सफल प्रयास के बाद गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्‍पनी की स्‍थापना की जो दुनिया में सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी कम्‍पनी हैं। इस कारण, बिल गेट्स को दुनिया-भर के कम्‍प्‍यूटरों का स्‍वामी (Owner Of Computers) कहा जाता हैं।
चतुर्थ पीढ़ी के आने से कंप्यूटर के युग में एक नई क्रान्ति आई | इन कंप्यूटर का आकार बहुत ही छोटा हो गया और मेमोरी बहुत अधिक बढ़ गई आकार छोटा होने से इन कंप्यूटर का रख रखाव बहुत आसान हो गया इसी के साथ इनकी कीमत इतनी कम हो गई की आम जनता इन कंप्यूटर को आसानी से खरीद सकती थी |
इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण हैं-
  • अतिविशाल स्‍तरीय एकीकरंण (Very Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग।
  • आकार में अद् भुत कमी।
  • साधारण आदमी की क्रय-क्षमता के अंदर।
  • अधिक प्रभावशाली, विश्‍वसनीय एवं अद् भुत गतिमान।
  • अधिक मेमोरी क्षमता।
  • कम्‍प्‍यूटरों के विभिन्‍न नेटवर्क का विकास।

कम्‍प्‍यूटरों की पंचम पीढ़ी (Fifth Generation of Computer) :- 1985 – अब तक 

कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी की शुरुआत 1985 से हुई | 1985 से अब तक के कंप्यूटर पांचवी पीढ़ी के अंतर्गत आते हैं कंप्म्प्यूटरों की पॉंचवीं पीढ़ी में वर्तमान के शक्तिशाली एवं उच्‍च तकनीक वाले कम्‍प्‍यूटर से लेकर भविष्‍य में आने वाले कम्‍प्‍यूटरों तक को शामिल किया गया हैं। इस पीढ़ी के कम्‍‍प्‍यूटरों में कम्‍प्‍यूटर वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता (Artificial Intelligence) को समाहित करने के लिए प्रयासरत हैं। आज के कम्‍प्‍यूटर इतने उन्‍नत हैं कि वे हर विशिष्‍ट क्षेत्र, मूल रूप से अकाउन्टिंग, इंजिनियरिंग, भवन-निर्माण, अंतरिक्ष तथा दूसरे प्रकार के शोध-कार्य में उपयोग किये जा रहे हैं।
इस पीढ़ी के प्रारम्‍भ में, कम्‍प्‍यूटरों का परस्‍पर संयोजित किया गया ताकि डेटा तथा सूचना की आपस में साझेदारी तथा आदान-प्रदान हो सकें। नये इंटिग्रेटेड सर्किट (Ultra Large Scale Integrated Circuit), वेरी लार्ज स्‍केल इंटिग्रेटिड सर्किट (Very Large Scale Integrated Circuit) को प्रतिस्‍थापित करना शुरू किया। इस पीढ़ी में प्रतिदिन कम्‍प्‍यूटर के आकार को घटाने का प्रयास किया जा रहा हैं जिसके फलस्‍वरूप हम घड़ी के आकार में भी कम्‍प्‍यूटर को देख सकते हैं। पोर्टेबल (Portable) कम्‍प्‍यूटर तथा इण्‍टरनेट की सहायता से हम दस्‍तावेज, सूचना तथा पैसे का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
पॉंचवी पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित लक्षण हो सकते हैं-
  1. कम्‍प्‍यूटरों के विभिन्‍न आकार (Different Size of Computer): आवश्‍यकतानुसार कम्‍प्‍यूटर के आकार और संरचना को तैयार किया जाता हैं। आज विभिन्‍न मॉडलों-डेस्‍क टॉप (Desk Top), लैप टॉप (Lap Top), पाम टॉप (Palm Top), आदि में कम्‍प्‍यूटर उपलब्‍ध हैं।
  2. इण्‍टरनेट (Internet):- यह कम्‍प्‍यूटर का एक अंतर्राष्‍ट्रीय संजाल हैं। दुनिया-भर के कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क इण्‍टरनेट से जुड़े होते हैं। और इस तरह हम कहीं से भी, घर बैठे – अपने स्‍वास्‍थ्‍य, चिकित्‍सा, विज्ञान कला एवं संस्‍कृति आदि-लगभग सभी विषयों पर विविध सामग्री इण्‍टरनेट पर प्राप्‍त कर सकते हैं।
  3. मल्‍टीमीडिया (Multimedia):- घ्‍वनी (Sound), दृश्‍य (Graphics), या चित्र और पाठ (Text), के सम्मिलित रूप से मल्‍टीमीडिया का इस पीढ़ी में विकास हुआ हैं।
  4. नये अनुप्रयोग (New Applications):- कम्‍प्‍यूटर की तकनीक अतिविकसित होने के कारण इसके अनुप्रयोगों यथा फिल्‍म-निर्माण, यातायात-नियन्‍त्रण, उघोग, व्‍यापार एवं शोध आदि के क्षेत्र में।

Friday, 28 June 2019

CPU - CENTERAL PROCESSING UNIT

CPU क्या होता है सीपीयु की पूरी जानकारी हिंदी में



CPU Computer का एक Important Part होता हैं. जिसके बिना कम्प्युटर अपना कार्य नही कर सकता हैं. इस Lesson में हम आपको CPU के बारे में पूरी जानकारी देंगे. आप जानेंगे कि CPU क्या होता हैं? CPU कैसे काम करता हैं? CPU के Parts कौन-कौनसे हैं?
CPU in Hindi
CPU का पूरा नाम (CPU Full Form in Hindi) Central Processing Unit होता हैं. जिसे Processor, Microprocessor और केवल CPU भी कहा जाता हैं. इसे कम्प्युटर का दिमाग भी कहते हैं. क्योंकि CPU कम्प्युटर से जुडे सभी Hardwares और Softwares से प्राप्त निर्देशों को संभालता हैं. और Input Devices से प्राप्त निर्देशों और डाटा को प्राप्त करता हैं, उसे Process करता हैं और परिणाम देता है.
आमतौर पर नये Users या जानकारी के अभाव में लोग CPU को ही कम्प्युटर समझने लगते हैं. मगर ये गलत हैं CPU तो कम्प्युटर का एक छोटा-सा मगर एक बहूत ही महत्वपूर्ण अंग हैं. जो Motherboard में लगा रहता हैं.
CPU अपना कार्य तीन सहायक उपकरणों की सहायता से पूरा करता हैं. जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं.
  1. Memory
  2. Control Unit
  3. ALU

1. Memory

Memory को आप कम्प्युटर का गोदाम या भंडार ग्रह भी समझ सकते हैं. क्योंकि इसमे Data को Store किया जाता हैं. CPU प्राप्त निर्देशों और डाटा को पहले अपनी स्मृति में भंडारित करता हैं और फिर दुबारा Data को Process करने के बाद भी उसे Memory में ही Store करता हैं. जिसे User कभी इस्तेमाल कर सकता हैं.
इस कार्य के लिए कम्प्युटर अलग-अलग Memory काम मे लेता हैं. जिस Memory में Unprocessed Data (Input) रखा जाता हैं उसे प्राथमिक स्मृति (RAM) कहा जाता हैं. और जिस Memory में Processed Data (Output) भेजा जाता हैं उसे द्वितीयक स्मृति (ROM) कहा जाता हैं.

2. Control Unit

Control Unit जिसे CU भी बोलते हैं कम्प्युटर का Manager होता हैं. जो सभी Operations को नियत्रिंत करता हैं. Control Unit Memory, Logical Unit, Input & Output Devices को बताता हैं कि किसी प्रोग्राम से प्राप्त निर्देशों का किस प्रकार पालन करना हैं.
Control Unit Memory से निर्देश प्राप्त करती हैं और उसे Decode करके Central Processor को भेज देती हैं. फिर उस Particular Event को Process किया जाता है. और यह प्रकिर्या चलती ही रहती हैं.

3. ALU

ALU का पूरा नाम Arithmetic Logical Unit हैं. यह Unit सिर्फ दो कार्य करती हैं. पहला डाटा पर गणितिय क्रिया करना. और दूसरा, परिणाम देना. ALU CPU की सबसे Complex और Important Part इकाई होती हैं.
ALU गणितीय क्रियाओं में जोड, घटाव, गुणा, भाग आदि करता हैं. और निर्णय देने के लिए डाटा का मिलान, तुलना करना, छांटना आदि कार्य करता हैं. फिर किसी निर्णय पर पहुँचता हैं. जिसे Output कहा जाता हैं. एक काम पूरा होने के बाद पुन: दूसरा काम करने के लिए यह प्रक्रिया दोहराई जाती हैं.

आपने क्या सीखा?

इस Lesson में हमने आपको Computer CPU की पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई हैं. आपने जाना कि CPU अपना कार्य करने के लिए किन-किन प्रक्रियाओं को पूरा करता हैं. और किन सहायक उपकरणों की मदद लेता हैं. हमे उम्मीद है कि यह Lesson आपके लिए उपयोगी साबित होगा.

OPERATING SYSTEM


ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है – Operating System in Hindi?


इस Lesson में हम आपको Operating System की पूरी जानकारी देंगे. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस Lesson को निम्न भागों में बांटा हैं.

Operating System क्या होता है?

Operating System छोटे रूप मे इसे OS कहते है, एक ऐसा कम्प्युटर प्रोग्राम होता है, जो अन्य कम्प्युटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोक्ता (Users) तथा कम्प्युटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्युटर को समझाता है. Operating System के द्वारा अन्य Software प्रोग्राम तथा Hardware का संचालन किया जाता है.

What is Operating System in Hindi
Operating System के बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु होता है. क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम बेजान हार्डवेयर को काम करने लायक बनाता है और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स को भी चलने लायक सुविधा प्रदान करता हैं.

Operating System की आवश्यकता/कार्य

Operating System संपूर्ण कम्प्युटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है. इसी के द्वारा कम्प्युपुटर का प्रबंधन किया जाता है. Operating System उपयोगकर्ता को कम्प्युटर पर आसानी से कार्य करने कि योग्यता देता है. Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को एक आरेख चित्र (Flow Chart) के माध्यम से समझा जा सकता है.

operating_system_placement
ऑपरेटिंग सिस्टम की संरचना

Operating System के कुछ प्रमुख कार्य नीचे है.

  1. Operating System कम्प्युटर को ठीक प्रकार से उपयोग करने लायक सरल बनाता है.
  2. Operating System उपयोगकर्ता से Hardware की भारी भरकम सूचनाओं को उपयोगकर्ता से छिपा लेता है, इसलिए उपयोगकर्ता का ढेर सारी सूचनाओं से सामना नही होता है.
  3. Operating System उपयोगकर्ता को एक सरल माध्यम उपलब्ध कराता है इसलिए वह कम्प्युटर पर आसानी से कार्य कर पाता है.
  4. Operating System उपयोगकर्ता एवं Hardware के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है, ताकि उपयोगकर्ता कम्प्युटर और उसके संसाधनों का उपयोग सरलता से कर सके.
  5. कम्प्युटर और इसके संसाधनों का प्रबंधन करना Operating System का एक जरूरी कार्य है.

Operating System के विभिन्न प्रकार

Operating System हमेशा से ही कम्प्युटर के साथ रहे है. जैसे-जैसे कम्प्युटर ने विकास किया वैसे ही Operating System भी अपने आप को विकसित करते गए. Operating System को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है. लेकिन, हम यहाँ Operating System के कुछ प्रमुख प्रकारों को जानेंगे.

1. Multi-user Operating System

यह Operating System एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस Operating System पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है.

2. Single-user Operating System

इसके विपरीत Single-user Operating System एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस Operating System पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है.

3. Multitasking Operating System

यह Operating System उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस Operating System पर आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है.

4. Multi Processing Operating System

यह Operating System एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है.

5. Multi Threading Operating System

यह Operating System एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है.

6. Real Time Operating System

Real Time Operating System उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए Input पर तुरंत प्रक्रिया करता है. Windows Operating System इसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
Operating System कम्प्युटर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है. इसके बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु मात्र है, यह कहना गलत नही है. Operating System के बिना कम्प्युटर को उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है. Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को समझने के लिए ऊपर दिए गए आरेख को समझ सकते है.

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएँ

  • Primary Memory को Track करता है. जैसे, कहाँ इस्तेमाल हो रही है? कितनी मैमोरी इस्तेमाल हो रही है? और मांगने पर मैमोरी उपलब्ध करवाता है.
  • Processor का ध्यान रखता है अर्थात Manage करता हैं.
  • कम्प्युटर से जुडे हुए सभी डिवाईसों को मैंनेज करता हैं.
  • कमप्युटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैंनेज करता हैं.
  • पासवर्ड तथा अन्य तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता हैं.
  • कम्प्युटर द्वारा किये जाने वाले कार्यों का ध्यान रखता है और उनका रिकॉर्ड रखता हैं.
  • Errors और खतरों से अवगत कराता हैं.
  • User और Computer Programs के बीच समन्वय बनाता हैं.

प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम

  • Windows OS
  • Mac OS
  • Linux OS
  • Ubuntu
  • Android OS
  • iOS
  • MS-DOS
  • Symbian OS

आपने क्या सीखा?

हमने जाना कि कम्प्युटर के हार्डवेयर तथा अन्य संसाधनों का सचालन Operating System के द्वारा किया जाता है. इसके अलावा Operating System की आवश्यकता और उसके कुछ श्रेणीयों से भी अवगत हुए. हमें उम्मीद है कि यह Lesson आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है.