Friday, 19 July 2019

बिटकॉइन (Bitcoin) मुद्रा क्या है और कैसे काम करती है?

बिटकॉइन (Bitcoin) मुद्रा क्या है और कैसे काम करती है?

बिटकॉइन डिजिटल मुद्रा का एक रूप है सरल शब्दों में, यह एक गणितीय संरचना है जो एल्गोरिदम पर चलता है। इसे किसने विकसित किया था इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत नही है लेकिन छदम रूप से इसके संस्थापक का नाम ‘सोतशी नाकामोतो’ माना जाता हैl जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है।
Bitcoin currency

बिटकॉइन एक तरह की एक डिजिटल मुद्रा (digital currency)  और स्वतन्त्र मुद्रा है | इस पर किसी भी संस्था या देश का अधिकार नहीं है| इसका मालिक, भौतिक (physical) रूप से चीजों की खरीदारी नहीं कर सकता बल्कि बिटकॉइन का उपयोग ऑनलाइन ही क्या जा सकता है| इसका अधिग्रह होने पर अधिकारी सिर्फ ऑनलाइन शॉपिंग या हस्तांतरण के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं| इसका उत्पादन स्वतन्त्र रूप से कंप्यूटर प्रोसेसिंग प्रणाली “Mining” के द्वारा किया जाता है| Miners विशेष प्रकार के हार्डवेयर का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के लेन देन को पूरा करते है और नेटवर्क को सुरक्षित करते है जिनके बदले में नए बिटकॉइन बनते है जो miners को मिलते है|
जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है। जबकि गोल्‍डमैन साक्‍स और न्‍यूयॉर्क स्‍टॉक एक्‍सचेंज तक ने इसे बेहद तेज और कुशल तकनीक कहकर इसकी तारीफ की है। इसलिए दुनियाभर के बिजनेसमैन और कई कंपनियां फाइनैंशियल ट्रांजेक्‍शन के लिए इसका इस्‍तेमाल खूब कर रहे हैं। इसे किसने विकसित किया था इसके बारे में कोई भी ठोस सबूत नही है लेकिन छदम रूप से इसके संस्थापक का नाम सोतशी नाकामोतो माना जाता हैl
(बिटकॉइन के संस्थापक सोतशी नाकामोतो)
founder-bitcoins
Image source:Daily Mail
1- इसकी शुरुआत 3 जनवरी 2009 को हुई थी।
2- यह विश्व का प्रथम पूर्णतया खुला भुगतान तंत्र है।
3- इस समय दुनिया भर में 1 करोड से अधिक बिटकाइन हैं, जिनका मूल्य 55 हज़ार करोड रुपए है।
बिटकॉइन का इस्तेमाल कौन कर रहा है ?
दुनिया का पहला ओपन पेमेंट नेटवर्क बिटकॉइन चर्चा में है। क्‍योंकि, फाइनैंशियल ट्रांजैक्‍शन के लिए यह सबसे तेज और कुशल मानी जा रही है। इसलिए बिटकॉइन को वर्चुअल करंसी भी कहा जाता है।
दरअसल बिटकॉइन एक नई टेक्नोलॉजी है जि‍सका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है।हजारों कंपनियों, लोगों और गैर लाभकारी संगठन ने ग्लोबल बिटकॉइन सिस्टम को अपनाया है। हालांकि इस मुद्रा का व्यापार, निर्माण और नियंत्रण अन्य बिटकॉइन उपयोगकर्ताओं द्वारा किया जाता है l
कोई केंद्रीय संस्था नहीं है
बिटकॉइन को किसी संस्था द्वारा नियंत्रित नही किया जाता है जिसका अर्थ है कि इसके ऊपर सरकार या बैंक का कोई अधिकार नही हैइनका उपयोग या खरीदारी किसी के द्वारा भी की जा सकती हैl चूंकि इनके व्यापार को रोका नही जा सकता है इसलिए कोई भी बैंक या प्राधिकरण आपको इंटरनेट द्वारा किसी और को अपने बिटकॉन्स भेजने से रोक नही सकता है। लेकिन इसमें एक दुविधा यह भी है कि यदि आपके साथ कोई धोखा होता है तो आप किसी के पास भी इसके बारे में शिकायत दर्ज नही करा सकते हैं l
इसका मूल्य कितना होता है ?
दुनिया भर में Bitcoins के वितरण की सीमा मात्र 210,00000 है यानि कि कुल मिलकर पूरे विश्व में 210,00000 ही बनाए जाएँगे उसके बाद इसका उत्पादन बंद हो जाएगा| कुछ ऐसी भी मूलभूत प्रक्रियाएं हैं जो इसे जटिल बनाती हैं और अधिकृत व्यक्ति को इसे समझने के लिए तकनीकी जानकारी होना आवश्यक हो जाता हैl
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह एक छदम मुद्रा है जिसने 2013 में बहुत प्रसिद्धि पाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में उठा पटक मचा दी थी l दरअसल तीन साल पहले वजूद में आई बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी करंसी बन गई है। इस समय एक बिटकॉइन को ऑनलाइन या बाजार में तकरीबन 790676 रुपये में बेचा जा सकता है। इसका मूल्य इसकी मांग और पूर्ती के बीच के समन्वय पर पड़ता है या खरीदने वाला जितना मूल्य देने को तैयार हो जाये l
(वर्तमान में बिट कॉइन का मूल्य इस प्रकार है)
bitcoin price 2017
Image source:greenhatworld.com
इसकी कीमत हर देश में अलग अलग होती हैl चूँकि इसका चलन विश्व बाज़ार में है, इसलिए इसकी कीमत हर देश में इसकी मांग के अनुसार होती है| इस समय एक बिटकॉइन का खरीदी मूल्य 790676 रूपए है वहीँ अमेरिका में एक बिटकॉइन की कीमत $604 है आज बिटकॉइन का चलन विश्व बाज़ार में बहुत तेज़ी पर हैl लेकिन इस बाजार में अस्थिरता बहुत अधिक होती हैl
बिटकॉइन की बिक्री और खरीद कैसे की जाती है?
डिजिटल करंसी बिटकॉइन का उपयोग करने वाले बिजनेसमैन की संख्‍या लगभग 30 लाख बताई जा रहीहै और जूपिटर रिसर्च के मुताबिक यह संख्‍या 2019 तक 50 लाख तक पहुंच सकती है।
बिटकॉइन को हासिल करने के लिए आपको बहुत मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है आप खनन (mining ) जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से डिजिटल मुद्रा कमा सकते हैं ( बिटकॉइन की संरचना करने के लिए  एक विशेष सॉफ़्टवेयर की मदद ली जा सकती है जिसे बिटकॉइन बनाने वाला सॉफ्टवेयर कहा जाता (Bitcoin Miner) है l यह सॉफ्टवेयर बिटकॉइन नेटवर्क में आपके लिए एक जगह को सुरक्षित कर लेगाl
 how-bitcoins-works
Image source:How-To Geek
कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी माध्यम के ट्रांजेक्‍शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। जबकि जटिल कम्‍प्‍यूटर एल्गोरिथम्स और कम्‍प्‍यूटर पावर से इस मुद्रा का निर्माण किया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं।
बिटकॉइन को किसी को अपनी सेवा देकर भी सैलरी के रूप में कमाया जा सकता है l यदि आप चाहें तो इसे वास्तविक मुद्रा जैसे डॉलर और यूरो से भी बदल सकते हैं l
साधारण मुद्रा की तरह बिटकॉइन को भी आसानी से खर्च किया जा सकता है l इसका इस्तेमाल आप सामान खरीदने के लिए, कुछ गैर-सरकारी संगठनों को दान करने या उन्हें किसी और को भेजने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं l कुछ ऐसी विभिन्न साइटें जैसे विकिलीक्स, पी 2 पी फाउंडेशन, वर्डप्रेस.कॉम और बिटकॉइन.ट्रेवल हैं जो बिटकॉइन को स्वीकार करते हैं l अभी हाल ही में दुनिया में आतंक मचाने वाले रैन्समवेयर वायरस को बनाने वाले हैकरों ने फिरौती के तौर पर bitcoin मुद्रा की ही मांग की हैl
भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक लोगों को इस मुद्रा में निवेश करने से रोक रहा है लेकिन फिर भी लोग इसमें बड़ी संख्या में निवेश कर रहे हैं लेकिन भारत सरकार इस bitcoin मुद्रा के दोषों को देखते हुए इसके वाणिज्यिक प्रसार को रोकने के लिए जल्दी ही कानून बनाने की बात सोच रही है l ज्ञातब्य है कि भारतीय रिज़र्व बैंक पहले से ही इस मुद्रा में किसी भी प्रकार के निवेश को गैर कानूनी बताता आया है और उसने लोगों को  इस मुद्रा से दूर रहने की सलाह भी दी है क्योंकि यह मुद्रा, बैंकिंग नियमन अधिनियम,1934 के नियमों का पालन भी नही करती है 

Thursday, 11 July 2019

GENERATION OF COMPUTER

कंप्यूटर की पीढियां

Generations of Computer (कंप्यूटर की पीढियां)

सन् 1946 में प्रथम इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस, वैक्‍यूम ट्यूब (Vacuum Tube) युक्‍त एनिएक कम्‍प्‍यूटर की शुरूआत ने कम्‍प्‍यूटर के विकास को एक आधार प्रदान किया कम्‍प्‍यूटर के विकास के इस क्रम में कई महत्‍वपूर्ण डिवाइसेज की सहायता से कम्‍प्‍यूटर ने आज तक की यात्रा तय की। इस विकास के क्रम को हम कम्‍प्‍यूटर में हुए मुख्‍य परिवर्तन के आधार पर निम्‍नलिखित पॉंच पीढि़यों में बॉंटते हैं:-

कम्‍प्‍यूटरों की प्रथम पीढ़ी (First Generation Of Computer) :- 1946-1956

कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत सन् 1946 में एकर्ट और मुचली के एनिएक (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Computer) नामक कम्‍प्‍यूटर के निर्माण से हुआ था इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में वैक्‍यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था जिसका आविष्‍कार सन् 1904 John Ambrose Fleming ने किया था इस पीढ़ी में एनिएक के अलावा  और भी कई अन्‍य कम्‍प्‍यूटरों का निर्माण हुआ जिनके नाम एडसैक (EDSEC – Electronic Delay Storage Automatic Calculator), एडवैक (EDVAC – Electronic Discrete Variable Automatic Computer ), यूनिवैक (UNIVAC – Universal Automatic Computer), एवं यूनीवैक – 1 (UNIVAC – 1) हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे इनकी Speed बहुत ही Slow होती थी और मेमोरी भी कम होती थी इसी कारण इन कंप्यूटर में डाटा को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता था इन कंप्यूटर की कीमत बहुत अधिक होने के कारण ये कंप्यूटर आम जनता की पहुँच से दूर थे|
प्रथम पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित लक्षण थे:-
  • वैक्‍यूम ट्यूब का प्रयोग
  • पंचकार्ड पर आधारित
  • संग्रहण के लिए मैग्‍नेटिक ड्रम का प्रयोग
  • बहुत ही नाजुक और कम विश्‍वसनीय
  • बहुत सारे एयर – कंडीशनरों का प्रयोग
  • मशीनी तथा असेम्‍बली भाषाओं में प्रोग्रामिंग

कम्‍प्‍यूटरों की द्वितीय पीढ़ी (Second Generation Of Computers) :- 1956-1964

कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी के बाद सन् 1956 में कंप्यूटर की द्वितीय पीढ़ी की शुरूआत हुई इन कम्‍प्‍यूटरों में Vacuum tube (वैक्‍यूम ट्यूब) के स्थान पर Transistor (ट्रॉजिस्‍टर) का उपयोग किया जाने लगा| विलियम शॉकले (William Shockley) ने ट्रॉंजिस्‍टर का आविष्‍कार सन् 1947 में किया था जिसका उपयोग द्वितीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में वैक्‍यूम ट्यूब के स्‍थान पर किया जाने लगा। ट्रॉंजिस्‍टर के उपयोग ने कम्‍प्‍यूटरों को वैक्‍यूम ट्यूबों के अपेक्षाकृत अधिक गति एवं विश्‍वसनीयता प्रदान की| Transistor (ट्रॉजिस्‍टर) के आने के बाद कंप्यूटर के आकार में भी सुधार आया द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर से आकार में छोटे हो गए|
द्वितीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण थे:-
  • वैक्‍यूम ट्यूब के बदले ट्रॉजिस्‍टर का उपयोग
  • अपेक्षाकृत छोटे एवं ऊर्जा की कम खपत
  • अधिक तेज एवं विश्‍वसनीय
  • प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम खर्चीले
  • COBOL एवं FORTRAN जैसी उच्‍चस्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास
  • संग्रहण डिवाइस, प्रिंटर एवं ऑपरेटिंग सिस्‍टम आदि का प्रयोग

कम्‍प्‍यूटरों की तृतीय पीढ़ी (Third Generation of Computer) :- 1965-1971

कम्‍प्‍यूटरों की तृतीय पीढ़ी की शुरूआत 1964 में हुई। इस पीढ़ी ने कम्‍प्‍यूटरों को IC (आई.सी.) प्रदान किया। आई.सी. अर्थात् एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का आविष्‍कार टेक्‍सास इन्‍स्‍ट्रमेंन्ट कम्‍पनी (Texas Instrument Company) के एक अभियंता जैक किल्‍बी (Jack Kilby) ने किया था। इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों में ICL 2903, ICL 1900, UNIVAC 1108 और System 1360 प्रमुख थे।
तृतीय पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण थे:-
  • एकीकृत सर्किट (Integrated Circuit) का प्रयोग
  • प्रथम एवं द्वितीय पीढि़यों की अपेक्षा आकार एवं वजन बहुत कम
  • अधिक विश्‍वसनीय
  • पोर्टेबल एवं आसान रख-रखाव
  • उच्‍चस्‍तरीय भाषाओं का बृहद् स्‍तर पर प्रयोग

कम्‍प्‍यूटरों की चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation Of Computers) :- 1971-1985

कंप्यूटर की चतुर्थ पीढ़ी की शुरुआत सन् 1971 से हुई | सन् 1971 से लेकर 1985 तक के कम्‍प्‍यूटरों को चतुर्थ पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों की श्रेणी में रखा गया है। इस पीढ़ी में IC (Integrated Circuit) को और अधिक विकसित किया गया जिसे विशाल एकीकृत सर्किट (Large Integrated Circuit) कहा जाता हैं। एक Integrated Circuit लगभग 300000 ट्रां‍जिस्‍टरों के बराबर कार्य कर सकता हैं। इस आविष्‍कार से पूरी सेन्‍ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट एक छोटी – सी चिप में आ गयी जिसे माइक्रो प्रोसेसर कहा जाता हैं। इसके उपयोग वाले कम्‍प्‍यूटरों को माइक्रो कम्‍प्‍यूटर कहा गया।


ALTAIR 8800 सबसे पहला माइक्रो कम्‍प्‍यूटर था जिसे मिट्स (MITS) नामक कम्‍पनी ने बनाया था। इसी कम्‍प्‍यूटर पर बिल गेटस (Bill gates), जो उस समय हावर्ड विश्‍वविद्यालय के छात्र थे, ने बेसिक भाषा को स्‍थापित किया था। इस सफल प्रयास के बाद गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कम्‍पनी की स्‍थापना की जो दुनिया में सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी कम्‍पनी हैं। इस कारण, बिल गेट्स को दुनिया-भर के कम्‍प्‍यूटरों का स्‍वामी (Owner Of Computers) कहा जाता हैं।
चतुर्थ पीढ़ी के आने से कंप्यूटर के युग में एक नई क्रान्ति आई | इन कंप्यूटर का आकार बहुत ही छोटा हो गया और मेमोरी बहुत अधिक बढ़ गई आकार छोटा होने से इन कंप्यूटर का रख रखाव बहुत आसान हो गया इसी के साथ इनकी कीमत इतनी कम हो गई की आम जनता इन कंप्यूटर को आसानी से खरीद सकती थी |
इस पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित मुख्‍य लक्षण हैं-
  • अतिविशाल स्‍तरीय एकीकरंण (Very Large Scale Integration) तकनीक का उपयोग।
  • आकार में अद् भुत कमी।
  • साधारण आदमी की क्रय-क्षमता के अंदर।
  • अधिक प्रभावशाली, विश्‍वसनीय एवं अद् भुत गतिमान।
  • अधिक मेमोरी क्षमता।
  • कम्‍प्‍यूटरों के विभिन्‍न नेटवर्क का विकास।

कम्‍प्‍यूटरों की पंचम पीढ़ी (Fifth Generation of Computer) :- 1985 – अब तक 

कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी की शुरुआत 1985 से हुई | 1985 से अब तक के कंप्यूटर पांचवी पीढ़ी के अंतर्गत आते हैं कंप्म्प्यूटरों की पॉंचवीं पीढ़ी में वर्तमान के शक्तिशाली एवं उच्‍च तकनीक वाले कम्‍प्‍यूटर से लेकर भविष्‍य में आने वाले कम्‍प्‍यूटरों तक को शामिल किया गया हैं। इस पीढ़ी के कम्‍‍प्‍यूटरों में कम्‍प्‍यूटर वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता (Artificial Intelligence) को समाहित करने के लिए प्रयासरत हैं। आज के कम्‍प्‍यूटर इतने उन्‍नत हैं कि वे हर विशिष्‍ट क्षेत्र, मूल रूप से अकाउन्टिंग, इंजिनियरिंग, भवन-निर्माण, अंतरिक्ष तथा दूसरे प्रकार के शोध-कार्य में उपयोग किये जा रहे हैं।
इस पीढ़ी के प्रारम्‍भ में, कम्‍प्‍यूटरों का परस्‍पर संयोजित किया गया ताकि डेटा तथा सूचना की आपस में साझेदारी तथा आदान-प्रदान हो सकें। नये इंटिग्रेटेड सर्किट (Ultra Large Scale Integrated Circuit), वेरी लार्ज स्‍केल इंटिग्रेटिड सर्किट (Very Large Scale Integrated Circuit) को प्रतिस्‍थापित करना शुरू किया। इस पीढ़ी में प्रतिदिन कम्‍प्‍यूटर के आकार को घटाने का प्रयास किया जा रहा हैं जिसके फलस्‍वरूप हम घड़ी के आकार में भी कम्‍प्‍यूटर को देख सकते हैं। पोर्टेबल (Portable) कम्‍प्‍यूटर तथा इण्‍टरनेट की सहायता से हम दस्‍तावेज, सूचना तथा पैसे का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
पॉंचवी पीढ़ी के कम्‍प्‍यूटरों के निम्‍नलिखित लक्षण हो सकते हैं-
  1. कम्‍प्‍यूटरों के विभिन्‍न आकार (Different Size of Computer): आवश्‍यकतानुसार कम्‍प्‍यूटर के आकार और संरचना को तैयार किया जाता हैं। आज विभिन्‍न मॉडलों-डेस्‍क टॉप (Desk Top), लैप टॉप (Lap Top), पाम टॉप (Palm Top), आदि में कम्‍प्‍यूटर उपलब्‍ध हैं।
  2. इण्‍टरनेट (Internet):- यह कम्‍प्‍यूटर का एक अंतर्राष्‍ट्रीय संजाल हैं। दुनिया-भर के कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क इण्‍टरनेट से जुड़े होते हैं। और इस तरह हम कहीं से भी, घर बैठे – अपने स्‍वास्‍थ्‍य, चिकित्‍सा, विज्ञान कला एवं संस्‍कृति आदि-लगभग सभी विषयों पर विविध सामग्री इण्‍टरनेट पर प्राप्‍त कर सकते हैं।
  3. मल्‍टीमीडिया (Multimedia):- घ्‍वनी (Sound), दृश्‍य (Graphics), या चित्र और पाठ (Text), के सम्मिलित रूप से मल्‍टीमीडिया का इस पीढ़ी में विकास हुआ हैं।
  4. नये अनुप्रयोग (New Applications):- कम्‍प्‍यूटर की तकनीक अतिविकसित होने के कारण इसके अनुप्रयोगों यथा फिल्‍म-निर्माण, यातायात-नियन्‍त्रण, उघोग, व्‍यापार एवं शोध आदि के क्षेत्र में।